Best 115+Husn Shayari — हुस्न की तारीफ पर शायरी 2 लाइन

दोस्तों husn shayari के इस पोस्ट में पढेंगे एक से बढ़ कर एक हुस्न की तारीफ पर शायरी जिसमे होगा हुस्न शायरी 2 लाइन, हुस्न शायरी in Urdu, Husn Status, हुस्न शायरी 4 लाइन, पर बनी बेजोड़ शानदार शायरी.

दोस्तों यह शायरी का कलेक्शन खास उन सभी को पसंद आएगा जिन्हें प्यार हैं और अपने प्यार की खूबसूरती की तारीफ करना चाहते हैं शायरी से और जिसे गूगल पर सर्च कर रहे हैं.

हमने इस पोस्ट में अब तक के सबसे बेहतरीन हुस्न की तारीफ पर बनी शायरी का संग्रह किया जो आपको ही नहीं बल्कि आपकी मसूका को भी बेहद पसंद आएगा और आपका प्यार और बढ़ेगा.

तो आईये पढ़ते हैं अब हुस्न की तारीफ में बनी शेर-ओ-शायरी के इस कलेक्शन को और शेयर करते हैं अपने पसंद की शायरी को अपने सोशल मिडिया के एकाउंट पर.

दोस्तों अगर और अधिक शब्दों पर बेहतरीन शायरियाँ पढ़ना चाहते हैं तो हमारे इस ब्लॉग पोस्ट को जरुर देखे और मुझे आशा हैं की हमारा शायरियों का यह संग्रह बेहद ही पसंद आएगा Shayari On Topics

husn shayari

◼ 2
हुस्न हर बार शरारत में पहल करता है।
बात बढती है तो इश्क के सर आती है।।

Best Husn Shayari

◼ 3
ना कर जिद दीवाने हुस्न को बेपर्दा तकने की।
हया जो फैलेगी रूखसार पर ,जान लेवा होगी।।

◼ 4
हुस्न वालों ने क्या कभी की खता कुछ भी।
ये तो हम हैं सर इल्ज़ाम लिए फिरते हैं।।

◼ 5
मुझको मालूम नहीं हुस्न की तारीफ फ़राज़।
मेरी नज़रों में हसीन वो है जो तुझ जैसा हो।।

◼ 6
कहाँ तक जफा हुस्न वालों के सहते।
जवानी जो रहती तो फिर हम न रहते।।
साकिब लखनवी

हुस्न शायरी

◼ 8
हुस्न को हुस्न बनाने में मिरा हाथ भी है।
आप मुझ को नज़र-अंदाज़ नहीं कर सकते।।

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◼ 9
चेहरों की इतनी फ़िक्र क्यूँ है, रंगों की इतनी क़द्र क्यूँ है ?
हुस्न अस्ल किरदार का है, गोरा काले से बेहतर क्यूँ है ?

◼ 10
हुस्न यूँ इश्क़ से नाराज़ है अब।
फूल ख़ुश्बू से ख़फ़ा हो जैसे।।
इफ़्तिख़ार आज़मी

◼ 11
दिल जो अजब शहर था ख्यालों का।
लूटा हुआ है हुस्न वालों का।।

◼ 12
हुस्न-ए-ख़ुमारी का आलम क्या पूछते हो।
गजरा, चूड़ी, काजल, बिंदी, उफ्फ्फ तुम क्या पूछते हो।।

◼ 13
कितनी तारीफ करूं उस जालिम के हुस्न की।
पूरी किताब तो बस उसके, होठों पर ही खत्म हो जाती है।।

◼ 14
पलट कर देख ये ज़ालिम तमन्ना हम भी रखते है।
तुम अगर हुस्न रखती हो तो जवानी हम भी रखते है।।

◼ 16
उसके हुस्न की तारीफ फ़क़त इतनी सी है।
जहाँ से गुजर जाए,लोग मिसाल देते है।।

◼ 17
ओ मस्त-ए-नाज़ हुस्न तुझे कुछ ख़बर भी है।
तुझ पर निसार होते हैं किस किस अदा से हम।।

◼ 18
हुस्न भी तेरा अदाए भी तेरी।
नखरे भी तेरी शोखिया भी तेरी।
बस इश्क़ मेरा रहने दो।।

◼ 19
झूम जाते हैं शायरी के लफ़्ज़ बहार के पत्तों की तरह।
जब शुरू होता है बयाँ-ऐ-हुस्न महबूब का मेरे।।

◼ 20
जाके डसा मांगे ना पानी।
हुस्न .इश्क. और जवानी।।

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◼ 21
ये हुस्न तेरा ये इश्क़ मेरा
रंगीन तो है बदनाम सही।

मुझ पर तो कई इल्ज़ाम लगे
तुझ पर भी कोई इल्ज़ाम सही।।
साहिर लुधियानवी

हुस्न की तारीफ पर शायरी 2 लाइन

◼ 23
ये हुस्न वाले भी देखो क्या गजब ढाते है।
कत्त्ल करके नजरों से,बे-कसूर कहलाते है।।

◼ 24
ये सब हुस्न वाले मेरी माला के मनके हैं।
नज़र में घूमते रहतें हैं, इबादत होती रहती है।।

◼ 25
तेरी हुस्न की क्या तारीफ करू ए जालिम।
तेरी तुलना करने में तो आप्सरायो का चेहरा भी
आँखों से ओझल हो जाता है।।

◼ 26
दरिया ऐ हुस्न दो हाथ ओर बढ गया।
जब उन्होने अंगडाई ली दोनो हाथ उठा कर।।

◼ 27
हुस्न का आशिक तो हर कोइ होता हैं
हम तो उनके दिल पर मरते हैं

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◼ 28
इश्क़ क्या, हुस्न क्या, फ़साना क्या।
हम न होंगे तो ये रंग-ए-ज़माना क्या।।

◼ 29
दिल्लगी नहीं शायरी जो किसी हुस्न पर बर्बाद करें।
यह तो एक शमा है जो उस नूर का पयाम है।।

◼ 31
संभाल नहीं पाते हैं तुमको देख कर मेरी जान।
हुस्न की बिजली इतनी ना गिरा की मेरी जान निकल जाए।।

◼ 32
मोहब्बत को छोड़कर क्या नही मिलता बाजार में।
हुस्न जिस्म चुंबन वादा अदा जो मन करे खरीद लो।।

◼ 33
ये आईने नही दे सकते तुझे तेरे हुस्न की ख़बर।
कभी मेरी इन आँखों से आकर पूछ तुम कितनी हसीन हो।।

◼ 34
मैं हुस्न हूँ, मेरा रूठना लाजिमी है।
तुम इश्क़ हो, ज़रा अदब में रहा करो।।

◼ 35
जिंदगी दिल के राज तभी खोलती है।
जब किसी हुस्न की निगाह बोलती है।।

◼ 36
काली लटों का राज ये बहोत गहरा है।
हुस्न पर छाया घनी जुल्फों का पहरा है।।

◼ 37
ये शब ओ रोज़ जो इक बे-कली रक्खी हुई है।
जाने किस हुस्न की दीवानगी रक्खी हुई है।।

◼ 39
शाम भी थी धुआँ धुआँ हुस्न भी था उदास उदास।
दिल को कई कहानियाँ याद सी आ के रह गईं।।
फ़िराक़ गोरखपुरी

◼ 40
लत लग गई हमे तो अब तेरे दीदार-ए-हुस्न की।
इसका गुन्हेगार किसे कहे खुद को या तेरी कातिल अदाओ को?

हुस्न शायरी in Urdu

◼ 41
ग़जब हाल है हुस्न ए शबाब का।
ये क़त्ल भी कर दें तो गुनहगार नही होते।।

◼ 42
वो अपने हुस्न की ख़ैरात देने वाले हैं।
तमाम जिस्म को कासा बना के चलना है।।
अहमद कमाल परवाज़ी

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◼ 43
हुस्न में नाज़ था, नज़ाकत थी,
इश्क़ में एहसास था, शराफ़त थी।

वो ज़माने भी क्या ज़माने थे,
जब प्यार करना इक इबादत थी।।

◼ 45
तेरा हुस्न वो कातिल है ज़ालिम।
जो क़त्ल तो करता है और।
हाथ में तलवार भी नही रखता।।

◼ 46
दर्दे दिल की दवा नहीं करते,
ये करम दिलरुबा नहीं करते।

चोट खाई तो ये यकीन हुआ,
हुस्न वाले कभी दुआ नहीं करते।।

◼ 48
कितना मुश्किल है जहाँ मे अच्छा दिलजानी होना।
हुस्न के दौर में ईश्क का रूहानी होना।।

◼ 49
इश्क़ दीवाना हुस्न भी घायल
दोनों तरफ़ इक दर्द-ए-जिगर है।

दिल की तड़प का हाल न पूछो
जितनी इधर है उतनी उधर है।।

◼ 50
ये नाजो-हुस्न तो देखो..दिल को तड़पाये जाते है।
नजरे मिलाते नही बस मुस्कुराये जाते है।।

◼ 51
हुस्न के दीवाने हैं सब यहां
दिल की खूबसूरती लुभाती नहीं।

किसी को चार पल का नशा है मोहब्बत
इनको सच्ची मोहब्बत भाती नहीं।।

हुस्न शायरी 2 लाइन

◼ 52
शरीके-ज़िंदगी तू है मेरी, मैं हूँ साजन तेरा,
ख्यालों में तेरी ख़ुश्बू है चंदन सा बदन तेरा।

अभी भी तेरा हुस्न डालता है मुझको हैरत में,
मुझे दीवाना कर देता है जलवा जानेमन तेरा।।

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◼ 53
क्यों तुम मेरे ख्यालों में आकर चली जाती हो?
अपनी जुल्फों को बिखराकर चली जाती हो।

रग रग में उमड़ आता है तूफान हुस्न का,
तुम जो फूल सा मुस्कुराकर चली जाती हो।।

◼ 54
होठों पे हंसी रुख पे हया याद रहेगी।
ऐ हुस्न तेरी शोख अदा याद रहेगी।।

◼ 55
ऐ दिल सुना न मुझको बिसरी हुई कहानी।
कुछ इश्क की तबाही कुछ हुस्न की जवानी।।

◼ 56
हुस्न ढल गया गुरूर अभी बाकी है,
नशा उतर गया सुरूर अभी बाकी है।

जवानी ने दस्तक दी और चली गई,
जेहन में वही फितूर अभी बाकी है।।

◼ 58
हुस्न वाले वफ़ा नहीं करते,
इश्क वाले दगा नहीं करते।
,
जुल्म करना तो इनकी आदत है,
ये किसी का भला नहीं करते।।

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◼ 59
इश्क़ ने जब माँगा खुदा से दर्द का हिसाब।
वो बोले हुस्न वाले ऐसे ही बेवफाई किया करते हैं।।

◼ 60
पायल तेरी, झुमकी तेरी, और ये जो नथनी नाक की।
हुस्न तो, जो है सो है, ख़लिश हैं लोगों की आंख की।।

◼ 61
हुस्न की तारीफ सादगी का मजाक।
कुछ ऐसा है आजकल दुनिया का मिजाज।।

◼ 62
नरगिसी आँख डोरे गुलाबी, मस्त ये हुस्न है मय के प्याले।
शैख गर देख ले तुझको जालिम,अपनी तौबा वही तोड़ डाले।।

◼ 63
हुस्न-ए-बेनजीर के तलबगार हुए बैठे हैं,
उनकी एक झलक को बेकरार हुए बैठे हैं।

उनके नाजुक हाथों से सजा पाने को,
कितनी सदियों से गुनाहगार हुए बैठे हैं।।

◼ 64
हुस्न पर जब भी मस्ती छाती है,
तब शायरी पर बहार आती है।

पीके महबूब के बदन की शराब,
जिंदगी झूम-झूम जाती है।।

हुस्न शायरी 4 लाइन

◼ 65
कांच का जिस्म कहीं टूट न जाये।
हुस्न वाले तेरी अंगड़ाइयो से डर लगता है।।

◼ 66
दिल तो चाहता है चूम लू तेरे रुखसार।
फिर सोचते हैं के तेरे हुस्न को दाग़ न लग जाए।।

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◼ 67
बादलों में छुप रहा है चाँद क्यों,
अपने हुस्न की शोखियों से पूछ लो।
चांदनी पड़ी हुई है मंद क्यों,
अपनी ही किसी अदा से पूछ लो।।

◼ 69
तेरे इस हुस्न को नकाब की जरुरत ही क्या है❓.
क्या कोई रह सकता हैं होश में, तेरी एक झलक के बाद❓.

◼ 70
सर-ए-आम यूँ ही जुल्फ संवारा न कीजिये।
बे-मौत हमको हुस्न से मारा न कीजिये।।

◼ 71
हुस्न में नज़ाक़त इश्क़ में शराफत।
ऊफ़्फ़!
एक मरने न दे, दूजा जीने न दे।।

◼ 72
ये हुस्न ये मौसम ये बारिश और मस्त ये मदमस्त हवाएँ।
लगता है आज फिर मोहबत ने किसी का साथ दिया है।।

◼ 73
न देखना कभी आईना भूल कर देखो।
तुम्हारे हुस्न का पैदा जवाब कर देगा।।
बेख़ुद देहलवी

◼ 74
नज़र इस हुस्न पर ठहरे तो आखिर किस तरह ठहरे।
कभी जो फूल बन जाये कभी रुखसार हो जाये।।

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◼ 75
क्यों यह हुस्न वाले इतने मिज़ाज़ -ऐ -गरूर होते है।
इश्क़ का लेते है इम्तिहान और खुद तालीम -ऐ -जदीद होते है।।

◼ 76
ये तेरा हुस्न औ कमबख्त अदायें तेरी,
कौन ना मर जाय,अब देख कर तुम्हें।

तेरा हुस्न बयां करना नहीं मकसद था मेरा,
ज़िद कागजों ने की थी और कलम चल पड़ी।।

◼ 77
मैं इज़्ज़त करता हूँ सिर्फ दिल से चाहने वाले की।
हुस्न तो आज कल बाज़ार में भी बिकते हैं।।

◼ 78
हुस्न और इश्क़ दोनों में तफ़रीक़ है,
पर इन्हीं दोनों पे मेरा ईमान है।

गर ख़ुदा रूठ जाए तो सज़दे करूँ,
और सनम रूठ जाए तो मैं क्या करूँ।।

◼ 79
तेरा मुस्कुराना देना जैसे पतझड़ में बहार हो जाये।
जो तुझे देख ले वो तेरे हुस्न में ही खो जाये।।

हुस्न शायरी in Urdu

◼ 81
इतने हिजाबों पर तो ये आलम है हुस्न का।
क्या हाल हो जो देख लें पर्दा उठा के हम।।
जिगर मुरादाबादी

◼ 82
तेरे हुस्न पर तारीफ भरी किताब लिख देता।
काश के तेरी वफ़ा तेरे हुस्न के बराबर होती।।

◼ 83
चुपके चुपके पहले वो ज़िन्दगी में आते हैं,
मीठी मीठी बातों से दिल में उतर जाते है।

बच के रहना इन हुस्न वालों से यारो,
इन की आग में कई आशिक जल जाते हैं।।

◼ 84
किसी के हुस्न की शम्मा का परवाना हूँ।
अक्सर लोग मुझे कहतें हैं मैं दीवाना हूँ।।

◼ 85
ये आईने ना दे सकेंगे तुझे, तेरे हुस्न की खबर।
कभी मेरी आँखों से आकर पूछ, के कितनी हसीन है तू।।

◼ 86
शायद तुझे खबर नहीं ए शम्मे-आरजू।
परवाने तेरे हुस्न पे कुरबान गये है।।

हुस्न शायरी 2 लाइन

◼ 87
लोग कहते हैं, कि इश्क इतना न करो, कि
हुस्न पर सवार हो जाये.. हम कहते हैं।

कि इश्क इतना करो , कि
पत्थर दिल को भी, प्यार हो जाये।।

◼ 89
मेरी निगाह-ए-इश्क भी कुछ कम नही।
मगर, फिर भी तेरा हुस्न तेरा ही हुस्न है।।

◼ 90
दुनिया में तेरा हुस्न मेरी जां सलामत रहे।
सदियों तलक जमीं पे तेरी कयामत रहे।।

◼ 91
तेरे हुस्न को परदे की ज़रुरत नहीं है ग़ालिब।
कौन होश में रहता है तुझे देखने के बाद।।

◼ 92
तेरी सादगी का हुस्न भी लाजवाब है।
मुझे नाज़ है के तू मेरा इंतेख़ाब है।।

◼ 93
हुस्न वालों के पीछे दीवाने चले आते है,
शमा के पीछे परवाने चले आते है।

तुम भी चली आना मेरे जनाजे के पीछे,
उसमे अपने तो क्या बेगाने भी चले आते है।।

Husn Shayari In English

◼ 94 Mujuhko Maloom Nahi Husn Ki Taarif Faraz। Meri Nazaron Mein Haseen Wo Hai Jo Tujh Jaisa Ho।।

◼ 96 Tafarik Husn-O-Ishk Ke Andaaz Me NHo, Lafzo Me Fakr Ho Magar Aawaz Me Naa Ho।।

◼ 97 Dil Jo Ajab Shahar Tha Khayalo Ka, Luta Hua Hai Husn Walo Ka।।

◼ 98 Mohabbat Ko Chhodkar Kya Nahi Milata Bazaar Me, Husn, Zism, Chumban, Wada Aada, Jo Man Kare Kharid Lo।।

◼ 99 Mai Husn Hun, Mera Ruthana Kazami Hai, Tum Ishk Ho, Jara Adab Se Raha Karo।।

◼ 100Dhaaya Khuda Ne Zulm Ham Dono Par, Tumhe Husn Aur Mujhe Ishk Dekar।।

◼ 101 Husn Me Naaz Tha, Nazakat Thi, Ishk Me Ehasaas Tha, Sharafat Thi, Wo Zamaane Bhi Kya The Jab Pyaar Karan eK Ibaadat ThI।।

◼ 103 Sharike-Zindagi Tu Hai Meri, Main Hun Saajan Tera, Khyalo Me Teri Khushbu Hai Chandan Sa Badan Tera. Abhi Bhi Tera Husn Daalata Hai Mujhako Hairat Me, Mujhe Deewana Kar Deta Hai Jalawa Jaanemand Tera।।

◼ 104 Hontho Par Hansi Rukh Pe Haya Yaad Rahegi, HUSN Teri Shokh Adaa Yaad Rahegi।।

◼ 105 Ye Dil Suna Na Mujhako Bisari Huyi Kahaani, Kuchh Ishk Ki Tabahi Kuchh Husn Ki Jawaani।।

◼ 106 Husn Dhal Gaya Gurur Abhi Baki Hai, Nasha Utar Gaya Surur Abhi Baki Hai, Jawaani Ne Wahi Dastak Di Aur Chali Gayi, Jehan Me Fitur Abhi Baki Hai।।

◼ 107 Madhoshi Se Bhara Husn Hai,Mera Sanam, Agar Nazare Inayat Na Ki To Tauhin-E-Ishk Hoga।।

◼ 108 Husn Wale Wafa Nahi Karate Ishk Wale Daga NAHI karate, Zulm Karana To Inaki Aadat Hai Ye Kisi Ka Bhala Nahi Karate।।

◼ 109 Ishk Ne Jab Manga Khuda Se Dard Ka Hisab, Wo Bole Husn Wale Ese Hi Bewafayi Kiya Karate Hai।।

◼ 110 Tere Husn Ko Nakab Ki Jarurat Hi Kya Hain❓ Kya Koi Rah Sakata Hain Hosh Me, Teri Ek Jhalak Ke Baad❓.

◼ 111 Sar-E-Aaam Yu Julf Sanwara Naa Kijiye, Be-Maut Hmako Husn Se Maara Naa Kijiye।।

◼ 112 Ye Husn Ye Mausam Ye Barish aur Mast ye Madmast Hawaye, Lagta hai aaj fir Mohabbat ne kisi ka saath Diya hai।।

◼ 113 Main izzat karata hoon sirf dil se chaahane waale ki, Husn to aaj kal baazar mein bhi bikate hain।।

◼ 114 Ye Aaina na de sakenge tujhe tere Husn ki Khabar, Kabhi meri aakhon se aakar puch ke Kitni haseen hai tu।।

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